बस एक रात हो सुकून की
जब चैन से हम सो जाएं
कोई भूल से भी ना पूछे हमें
ऐसी नींद में हम खो जाएं
एक नर्म तकिए का सहारा हो
और कुछ दूजा याद ना आए
तकदीर भी ना ख़ोजे हमें
और वक्त अनदेखा हो जाए
इसी आस में रह गए कि
फ़ैल के लेटने को हमें
एक बिस्तर नसीब हो जाए
बस एक रात हो सुकून की
जब चैन से हम सो जाएं
(2020)