दिखाओ वो कागज़ उन्हें
वो छिपा के अंदर
जो कोने में रखे हैं
जिसके डर से
कोई अंदर ना आता
दिखाओ वो कागज़ उन्हें
जिनपे लिखी तुमने
कितनी खत कविताएं
सोचे शायद कोई कभी
इन्हें पढ़ पाता
दिखाओ वो कागज़ उन्हें
तो वो देख सके
वो शाम वो रात वो दिन
वो बातें जिनका इज़हार
सिर्फ कागज़ कर पाता
दिखाओ वो कागज़ उन्हें
जिनपे लिखा हो इतिहास
तो इस खून का किस्सा
शब्दों में नहीं, कागज़ात से
कोई उनको महसूस करा पाता
कागज़ात दिखाओ ये शब्द क्या हैं
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