कैसे कहें देसी नसल है
ज़बान तेज़, और दिल बड़ा भारी है
क्या करें, ये भी क्या ही बिमारी है
दुनिया नहीं समझ आती, दस्तावेज़ भी गुम हैं
दिल जब लगता है, तब कुछ समझ नहीं आता
और मन कहता है हम नादान हैं,
अरे तुम्हें क्या हि मालूम है
लोगों को देखते बहल जाते हैं
सबके सुख में अपना सुख दिख जाता है
तुमसे नज़र मिलती हैं
तो सर झुक जाता है
फिर अपने ही हाल से
सिर्फ़ दर्द याद आता है
बस इतना ज़रूर है
मुझे पता ना था
कि बिना मांगे
प्यार भी आता है