ना हम किसी के हो सके
ना कोई हमारा ही था
ना हम दुनिया में खो सके
ना कोई हमसे करीब था
हर जशन में लगा कुछ अधूरी है
हर ग़म में हम मुस्कुरा दिये
बेबसी में जो ये मन था
सो रोज हम दुआ किये
ना हम किसी की मजबूरी थे
ना हम किसी का प्यार
ना हम किसी को हासिल हुए
हमें मिला ना कुछ, सिर्फ़ इंतजा़र
हमारा कभी कुछ ना था
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